Rumored Buzz on Shodashi

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The day is noticed with terrific reverence, as followers go to temples, supply prayers, and engage in communal worship gatherings like darshans and jagratas.

Goddess Tripura Sundari Devi, often called Shodashi or Lalita, is depicted by using a wealthy iconography that symbolizes her many characteristics and powers. Her divine variety is commonly portrayed as a wonderful younger lady, embodying the supreme magnificence and grace of your universe.

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

Charitable functions including donating food stuff and dresses into the needy can also be integral to your worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate aspect of the divine.

The devotion to Goddess Shodashi is often a harmonious blend of the pursuit of natural beauty and The search for enlightenment.

This mantra holds the ability to elevate the mind, purify feelings, and join devotees to their higher selves. Listed here are the in depth great things about chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.

गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

By embracing Shodashi’s teachings, individuals cultivate a daily life enriched with intent, really like, and relationship on the divine. Her blessings remind devotees of the infinite splendor and knowledge that reside inside, empowering them to Stay with authenticity and joy.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

The noose symbolizes attachments, While the goad signifies contempt, the sugarcane bow exhibits needs, as well as flowery arrows signify the five sense organs.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज more info राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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